Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

ऐसा तीर्थस्नान तो सभी कर सकते हैं

इस मास में तीर्थस्नान की महिमा है । बाहर के तीर्थ में स्नान न कर सको तो हृदय से ही मानसिक तीर्थों में जाकर स्नान कर लिया - ‘सत्य तीर्थ, क्षमा तीर्थ, मौन तीर्थ, ब्रह्मचर्य तीर्थ, अद्रोह (द्वेषरहितता) तीर्थ, इन्द्रियनिग्रह तीर्थ, ज्ञान तीर्थ, आत्मतीर्थ, ध्यान तीर्थ, सर्वभूतदया तीर्थ, आर्जव (सरलता) तीर्थ, दान तीर्थ, दम (मनोनिग्रह) तीर्थ, संतोष तीर्थ, नियम तीर्थ, मंत्रजप तीर्थ, प्रियभाषण तीर्थ, धैर्य तीर्थ, अहिंसा तीर्थ और शिव (कल्याणस्वरूप परमात्मा) स्मरण तीर्थ... इन आध्यात्मिक तीर्थों में हम जा रहे हैं और फिर हम परमात्मा के नाम का जप करते हैं । मन की शुद्धि सब तीर्थों से उत्तम तीर्थ है ।’ यह स्नान माघ मास में बहुत लाभ देगा ।

यदि कोई निष्काम भाव से केवल भगवत्प्रसन्नता, भगवत्प्राप्ति के लिए माघ-स्नान करता है तो उसको भगवत्प्राप्ति भी बहुत-बहुत आसानी से होती है ।